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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 यक्ष प्रश्न 1

ब्रेड एण्ड बटर

आज सुबह जब मैं पार्क में घूमने के लिए जा रहा था तो अचानक किसी के रोने की आवाज सुनकर ठिठक गया । जनानी आवाज लग रही थी । मुझे आश्चर्य हुआ कि सुबह सुबह कौन रो रही है ? क्या समस्या आन पड़ी है कि सुबह सुबह ही रोने बैठ गई । आवाज की दिशा में जब मैं गया तो देखा कि बीच सड़क पर कुछ ब्रैड बैठकर स्यापा कर रहीं हैं । उन्हें वहां देखकर मैं चौंका । इन्हें तो रसोई में होना चाहिए था । सैंडविच या टोस्ट बनाने में सहयोग देना चाहिए था । मगर ये तो यहां स्यापा कर रही हैं । क्या बात हो सकती है , जानना जरूरी हो गया था ।

मैं उनके पास पहुंचा और उनके आंसू पोंछे । आंसू पोंछते हुए डर भी लग रहा था कि कहीं ये लोग मुझ पर छेड़छाड़ का इल्ज़ाम न लगा दें । आजकल किसी का कोई भरोसा नहीं है । होम करने में हाथ जल जाते हैं आजकल  । इसलिए सतर्क रहना जरूरी है ।

मेरे द्वारा आंसू पोंछने और सांत्वना देने से उनको थोड़ी राहत मिली । अब उनका रोना बंद हो गया था । मैंने धीरे से पूछा "क्या आपको "दीदी" की चोट का इतना धक्का लगा है कि तुम रो पड़ीं " ? 
वो एकसाथ बोलीं "ये आपको किसने बताया" ? 
मैंने कहा "नहीं, बताया तो किसी ने नहीं , मगर पूरा देश जानता है और बहुत दुखी भी है । अगर ऐसी चोट "अम्मा" को लग जाती तो पता नहीं दक्षिण में कितने लोग आत्महत्या कर लेते । मगर अब तो वे इस संसार में ही नहीं हैं ना । तो मैंने सोचा कि आपको भी वैसी ही फीलिंग्स हो रही हैं शायद" । 
"अरे नहीं , ये बात नही है । हमें उनके पचड़े में पड़कर  उनके गुंडों से मार खाकर मुंह नहीं सुजवाना है " । 
"अच्छा तो महाराष्ट्र में चल रहे विचित्र घटनाक्रम से दुखी होकर आंसू निकल पड़े " ? 

" अरे नहीं बाबा । जैसे हर भारतवासी अपनी मस्ती में मस्त है । भाड़ में जाए देश और चूल्हे में जाए संविधान । हमें क्या ? हमारा कन्सर्न तो बस इतना है कि हमें मुफ्त में समस्त सुविधाएं मिलती रहें । हम अपनी मर्जी का करते रहें । बस , और कुछ नहीं । किसी बड़े उद्योगपति के घर के सामने स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ी मिले , उसमें विस्फोटक पदार्थ मिलें , कोई पुलिस अधिकारी इस मामले में गिरफ्तार हो जाए , सरकार पर संकट आ जाए , हमें क्या ? हमें तो मंहगाई , बेरोजगारी का रोना रोने से ही फुर्सत नहीं है " । 

अब मेरा माथा ठनका । देश में सबसे ज्यादा चर्चित तो आजकल ये दो ही राज्य हैं । इनसे संबंधित किसी घटना से ये आहत नहीं हैं तो फिर किससे हो सकती हैं ?  इतने में मुझे कुछ याद आया । इस देश में खिलाड़ियों की तो कोई कमी नहीं है ना । एक से बढ़कर एक खिलाड़ी भरे पड़े हैं । मैंने अपने सिर पर एक हल्की सी चपत लगाते हुए कहा "अच्छा तो आप "मिस्टर नटवरलाल " को लेकर दुखी हैं । केन्द्र सरकार ने उप राज्यपाल को और ज्यादा शक्तिशाली बना दिया है , इसलिए " ? 

"हमने कहा ना कि हमको इन पचड़ों में नहीं पड़ना है । इन पचड़ों में पड़कर हमें मीडिया की सुर्खियां नहीं बनना है । अपने खिलाफ अलग अलग राज्यों में सैकड़ों एफ आई आर दर्ज नहीं करवानी है और ना ही "मी लॉर्ड्स" की अनुचित टिप्पणियां सुननी हैं ।

"फिर किस विषय से दुखी हैं आप लोग , खुलकर बताइए ना " 

"हमें तो बस एक व्यक्ति से ही शिकायत है और वह है 'बटर' । पहले वह हमारे साथ साथ हंसता था , खेलता कूदता था , बातें करता था । मगर अब ना जाने कहां गायब हो गया है ? कहीं भी नजर नहीं आता है वह । हम उसके बिना नहीं रह सकते हैं" ? वे रुआंसी होकर बोलीं

उनकी बात सुनकर मुझे हंसी आ गई । मुझे हंसते देखकर वे क्रोधित हो गई और मुझ पर सब एक साथ टूट पड़ी 
"हम लोग यहां मर रहे हैं और तुम हंस रहे हो ? महिलाओं का सम्मान करना नहीं सिखाया है क्या ? महिलाओं की ऐसे  खिल्ली कैसे उड़ा सकते हो तुम ? एक तो हम वैसे ही बहुत परेशान हैं और तुम हमारा उपहास उड़ाकर और परेशान कर रहे हो । पुलिस बुलायें क्या" ? 

"पुलिस का नाम सुनकर मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई । मैंने एक न्यूज चैनल पर देखा था कि किस तरह एक बहुत बड़े न्यूज चैनल के एक बहुत बड़े पत्रकार को पुलिस आतंकवादियों की तरह ऐ के 47 की नोक पर बख्तरबंद गाड़ी में बिना अपराध के घसीटते हुए ले गई । मुझे याद आया कि उत्तर प्रदेश के ललितपुर में विष्णु तिवारी को निरपराध होते हुए भी बीस साल जेल में रहना पड़ा । मुझे याद आया कि थाने में रिपोर्ट लिखवाने गई एक युवती के साथ थानेदार ने थाने में ही दुष्कर्म किया । मुझे और भी बहुत सारी घटनाएं याद आ गई और डर के मारे मेरी घिग्घी बंध गई । मैं पुलिस के चंगुल में नहीं पड़ना चाहता था । मनसुख हीरानी की तरह मरना भी नहीं चाहता था । इसलिए मैंने तुरंत उनके पैर पकड़ लिए और कहा 

" हे देवियों , तुम्हारा उपहास उड़ाने का मेरा कभी भी इरादा नहीं था और ना अब है  , ना कभी होगा । महिलाओं का बहुत सम्मान करता हूं मैं । इसलिए कृपया मुझ पर ऐसे अनर्गल आरोप मत लगाइए । मैं सीधे सीधे बताता हूं कि आजकल "बटर" कहां गायब हो गया है " ? 

बटर का नाम सुनते ही वे चहक उठी और कहने लगी "जल्दी बताओ , जल्दी बताओ । हम उससे मिलना चाहती हैं " 

"बताता हूं , बताता हूं । थोड़ा सा धीरज धरो । देखो आजकल इंसान बहुत स्वार्थी बन गया है । अपने मतलब के लिए वह गधे को भी बाप बना लेता है । अब जब वह गधे को बाप बनाएगा तो उसे गधे को बटर तो लगाना ही पड़ेगा ना ।और गधे की त्वचा कितनी खराब है ? कितना सारा बटर सोख लेगी उसकी त्वचा ?  तो आजकल सारा बटर ऐसे ही गधों के काम आ रहा है । लोग जमकर "बटर" लगा रहे हैं । खा कम रहे हैं और लगा ज्यादा रहे हैं । आजकल तो आगे बढ़ने का एक ही तरीका है । जमकर बटर लगाओ । जो जितना ज्यादा बटर लगाएगा , वह उतना ही ईनाम पायेगा  । मैंने एक नेता को देखा है अपने नेता की चप्पल उठाते हुए । सुबह से लेकर शाम तक फिर शाम से लेकर सुबह तक मक्खनबाजी के अलावा और कोई काम नहीं है राजनीति में । 

नौकरशाही भी राजनीति से पीछे नहीं है । यहां भी कम बटर नहीं लगाया जाता है । कभी कभी तो अफसर खुद ही कह देता है कि "बटर" कुछ ज्यादा हो रहा है । लेकिन मातहत हैं कि जब तक साहब को बटर लगा लगाकर पूरा चिकना नहीं कर दें , तब तक उन्हें चैन नहीं आता है । अधिकांश बटर तो वहीं काम आ रहा है । 

इसके बाद नंबर आता है हसीनाओं का । आशिक मिजाज लोग हसीनाओं को ऐसा "बटर" लगाते हैं कि हसीनाएं इतनी चिकनी हो जाती हैं कि पहलू से फिसल फिसल जाती हैं ।  सबसे अधिक बटर तो हसीनाओं को ही चाहिए । सुबह से लेकर रात तक । बन संवर कर आईने के सामने खड़े होकर एक नजर खुद को देख लेने के बाद भी मन नहीं भरता है और संतुष्टि के लिए अपने आशिक से पूछती है " कैसी लग रही हूं मैं" ?

आशिक तो इसी अवसर की तलाश में रहता है और वह उसके सौंदर्य पर दो चार शायरी , कविता , मुक्तक,  गजल पढ़ देता है । उसे मेनका , उर्वशी , हेमा मालिनी , ऐश्वर्या , श्री देवी कह देता है तो हसीना का चेहरा खिल  उठता है ।  इससे उन्हें जो संतोष मिलता है , वह अवर्णनीय है । बाकी बचा खुचा बटर और कहीं काम आ रहा है । 

उसमें से भी अगर थोड़ा बहुत बटर बच भी जाए तो यह दाल निगोडी उसे लपक ले जाती है और तड़का लगवा कर ही मानती है । आजकल दालों में बटर की डिमांड बहुत बढ़ गई है । और दाल मखानी तो ऐसी दीवानी है बटर की कि वह आकंठ बटर में ही डूबी रहना चाहती हैं । ऐसे में तुम जैसी ब्रेड को कौन पूछे ? ऐसा करो । लगता है कि बटर के भाव कुछ ज्यादा ही हो गये हैं इसलिए वह इतरा ज्यादा रहा है शायद । लात मारो बटर को और आपस में हिल मिल कर रहो सैंडविच की तरह । अपने साथ सॉस को ले लो , फिर देखो , बटर जल भुन कर पिघल जाएगा और तुम्हारे पास दौड़ा दौड़ा आएगा " । 

मेरी बातों से वे खुश हो गई और हिल मिल कर रहने के लिए चली गई । बटर अब ब्रेड के पीछे पीछे भाग रहा है मगर ब्रेड उसकी परेड करवा रहीं हैं । जब किसी चीज की समय पर कद्र नहीं की जाती है तो बटर की तरह ब्रेड के पीछे पीछे भागना पड़ता है । जीवन की बहुत सारी गूढ बातें ये ब्रेड बटर किस तरह हंसते खेलते हमें समझा देते हैं ।


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2 Comments

shweta soni

19-Sep-2022 11:42 PM

बहुत सुंदर रचना 👌

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Gunjan Kamal

14-Jul-2022 06:56 AM

शानदार

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